जब हम कहते हैं ‘औसत आयु’, तो असल में हम समूह में सभी लोगों की उम्र को जोड़कर, लोगों की कुल संख्या से भाग देते हैं। यह नंबर हमें बताता है कि उस समूह में आमतौर पर लोग कितनी उम्र तक जीते हैं। आसान है, है न?
पहले सभी व्यक्तियों की उम्र लिखें – 30, 45, 60 आदि। फिर उन सभी को जोड़ें, मान लीजिए कुल 300 साल हुआ। अब उन लोगों की संख्या गिनें, जैसे 5 लोग। 300 को 5 से भाग दें और मिलती है 60 साल। वही आपका औसत आयु है।
कभी‑कभी हम ‘मध्यम आयु’ या ‘मोड’ भी देखते हैं, पर औसत सबसे आम तरीका है क्योंकि इसे जल्दी से गणना किया जा सकता है।
सरकारें इस पे आगे-पीछे नहीं करतीं। बजट बनाते समय, पेंशन योजना, स्वास्थ्य देखभाल की जरूरतें, सब में औसत आयु मदद करती है। अगर औसत आयु कम हो, तो स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ाने की जरूरत समझ में आती है।
आर्थिक planners भी इस आंकड़े से देखते हैं कि कितनी युवा शक्ति अभी काम कर रही है और कब रिटायरमेंट की लहर आएगी। इससे नौकरी की योजना, ट्रेनिंग प्रोग्राम और निवेश के विकल्प तय होते हैं।
व्यक्तिगत स्तर पर भी लोग अपनी उम्र के हिसाब से लाइफस्टाइल बदलते हैं। उदाहरण के लिए, 30‑40 के बीच लोग अक्सर करियर और परिवार को संतुलित करने की कोशिश करते हैं, जबकि 60‑70 के बीच स्वास्थ्य पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
स्वास्थ्य क्षेत्र में औसत आयु से रोगों की प्रचलनशीलता का अंदाज़ा लगाते हैं। अगर कोई बीमारी का औसत आयु 50 है, तो डॉक्टर 45‑55 साल के लोगों को ज्यादा सावधान रहने की सलाह देते हैं।
शिक्षा विभाग भी औसत आयु देखता है जब स्कूल उम्र सीमा तय करता है। इससे बच्चे सही उम्र में पढ़ाई शुरू कर पाते हैं और आगे की शिक्षा में बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
समाज में औसत आयु बदलने से कई बार नयी नीतियां बनती हैं। जैसे भारत में अगर औसत आयु बढ़ती है, तो वृद्धावस्था बीमा, पेंशन योजना और सीनियर नागरिकों के लिए पार्क, सुविधा आदि पर ध्यान बढ़ता है।
अब आप समझ गए होंगे कि औसत आयु सिर्फ एक गणितीय आंकड़ा नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की जिंदगी में कई फ़ैसलों की बुनियाद है। इसे जानकर आप खुद के या अपने परिवार के भविष्य की योजना बेहतर बना सकते हैं।
अरे वाह! यह विचार करने का अच्छा मुद्दा है कि भारतीय लोगों की औसत आयु क्या होगी? क्यूंकि हम तो खुद को अमर समझते हैं, है ना? वैसे अनुसार सांख्यिकीय डाटा, भारतीयों की औसत आयु लगभग 69 वर्ष है। जी हां, वृद्धावस्था तक पहुंचने का हमारा यह योगदान बहुत ही गर्व की बात है, और हमें इसका गर्व भी होना चाहिए। वैसे, बात रही औसत आयु की, तो यहाँ तक पहुंचने में थोड़ा समय तो लगता ही है, आप समझ रहे हैं ना जिसे मैं कह रहा हूँ? वैसे यह बहुत ही रोचक और जानकारीय विषय है।