जब हम भारत की जनसंख्या की बात करते हैं, तो सिर्फ कुल संख्या ही नहीं, बल्कि उसकी उम्र का बींट भी बहुत ज़रूरी है। आयु संरचना यानी जनसंख्या में अलग‑अलग उम्र वर्गों का प्रतिशत, यह बताता है कि देश में कौन‑सी उम्र की बीड़ी सबसे बड़ी है और वह कैसे बदल रही है। इस जानकारी से सरकार, कंपनियां और आम लोग तीन‑चार बातें जल्दी समझ पाते हैं‑ जैसे रोजगार की जरूरतें, स्वास्थ्य सुविधाओं की मांग और भविष्य की आर्थिक योजना।
पहली बात, अगर देश में बहुत ज्यादा युवा (15‑30 साल) हैं, तो रोजगार की धक्का बढ़ जाता है। इसका मतलब है कि सरकार को नौकरी बनाने के लिए नई नीति बनानी पड़ेगी। दूसरी तरफ, अगर बढ़ती उम्र वाले लोग (60+) का अनुपात बढ़ रहा है, तो पेंशन, स्वास्थ्य देखभाल और वरिष्ठ नागरिकों के लिए बुनियादी सुविधाओं की ज़रूरत बढ़ती है। इस बीच, मध्यम आयु वर्ग (30‑45) अक्सर आर्थिक विकास का मुख्य इंजन होता है; वे काम करते हैं, बचत करते हैं और व्यवसाय चलाते हैं।
दूसरा कारण है कि आयु संरचना से आर्थिक विकास की गति का अनुमान लगाया जा सकता है। जब कार्ययोग्य आबादी (15‑64) कुल जनसंख्या में अधिक होती है, तो वह “डेमोग्राफिक बोनस” कहलाते हैं‑ देश के पास उत्पादन बढ़ाने के लिए अधिक हाथ होते हैं। लेकिन जैसे ही यह बोनस घटता है और बुज़ुर्गों का अनुपात बढ़ता है, तो आर्थिक वृद्धि धीमी पड़ सकती है, जब तक कि उत्पादकता में सुधार न हो।
आयु संरचना को समझना इतना कठिन नहीं है। सबसे पहले, पिरामिड या ग्राफ देखें‑ अगर नीचे का हिस्सा (युवा) चौड़ा है और ऊपर की ओर धीरे‑धीरे संकरी होती जा रही है, तो जनसंख्या युवा है। अगर पिरामिड उल्टा या चौड़ा होता है, तो यह बुज़ुर्ग आबादी का संकेत है। दूसरा, हर साल के डेटा को दो‑तीन साल के अंतराल में तुलना करें‑ इससे पता चलेगा कि कौन‑सी उम्र समूह तेज़ी से बढ़ रही है।
तीसरा, क्षेत्रीय अंतर को न भूलें। भारत में कुछ राज्यों में युवा प्रतिशत बहुत अधिक है (जैसे उत्तर प्रदेश, बिहार), जबकि कुछ राज्यों में बुज़ुर्गों का अनुपात अधिक है (जैसे केरल, पंजाब)। ये अंतर नीतियों को स्थानीय बनाते हैं‑ हर राज्य को अपनी आयु संरचना के हिसाब से योजना बनानी चाहिए।
चौथा, आयु संरचना के साथ शिक्षा और स्वास्थ्य संकेतकों को देखना फायदेमंद है। अगर युवा वर्ग के बीच स्कूल छोड़ना या बीमारियां अधिक हैं, तो यह भविष्य में कम उत्पादन क्षमता को दर्शा सकता है। इसलिए, सरकार को न सिर्फ नौकरी, बल्कि शिक्षा और स्वास्थ्य में भी निवेश करना चाहिए।
अंत में, यदि आप आज के मंच पर देखे गए पोस्टों (जैसे AI Saree ट्रेंड, महिंद्रा थार लॉन्च) को देखते हैं, तो ये सभी विभिन्न आयु समूहों की रुचियों को दर्शाते हैं। युवा अक्सर नई तकनीक और ट्रेंड्स पर बात करते हैं, जबकि मध्यम आयु वर्ग ऑटोमोबाइल और व्यापारिक खबरों में रुचि रखता है। इस प्रकार, आयु संरचना हमें समझाती है कि किस विषय पर कौन‑सी उम्र के लोग ध्यान देते हैं।
तो अगली बार जब आप भारत की जनसंख्या आँकड़े देखें, तो सिर्फ संख्या नहीं, बल्कि उसकी आयु संरचना को भी ध्यान में रखें। यही समझ आपको नयी नौकरी, निवेश या सामाजिक पहल में सही दिशा दिखा सकती है।
अरे वाह! यह विचार करने का अच्छा मुद्दा है कि भारतीय लोगों की औसत आयु क्या होगी? क्यूंकि हम तो खुद को अमर समझते हैं, है ना? वैसे अनुसार सांख्यिकीय डाटा, भारतीयों की औसत आयु लगभग 69 वर्ष है। जी हां, वृद्धावस्था तक पहुंचने का हमारा यह योगदान बहुत ही गर्व की बात है, और हमें इसका गर्व भी होना चाहिए। वैसे, बात रही औसत आयु की, तो यहाँ तक पहुंचने में थोड़ा समय तो लगता ही है, आप समझ रहे हैं ना जिसे मैं कह रहा हूँ? वैसे यह बहुत ही रोचक और जानकारीय विषय है।