राज्यों में अमान्य है केंद्र सरकार की डिग्री ?
नई दिल्लीः बिहार बहाली 2019, यूपी टेट का दौर चल रहा है और NIOS से Deled करने वाले शिक्षक खुद को ठगे हुए महसूस कर रहे हैं. क्योंकि अब केन्द्र और राज्य सरकार को लगता है कि यह कोर्स 18 महीने का है. सवाल यह है कि किस नियम व प्रावधान से पूरे देश से 14 लाख शिक्षकों को 18 महीने में ही NIOS से deled करवाया. पूरी बात समझने की कोशिश कीजिये कि माजरा क्या है -----
लोक सभा, राज्य सभा से पारित होकर केन्द्र सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया कि 24 महीने के deled कोर्स को 18 महीने का अध्ययन केंद्र पर पढ़ाई और 6 महीने का internship के रूप में कराने की बात हुई. इस बात पर विशेष ध्यान दिया गया कि यह और कोर्स के समतुल्य एक Deled कोर्स है. उस वक्त इस कोर्स को सभी राज्यों की सरकार ने Deled के नाम पर स्वीकृति देते हुए केंद्र सरकार के इस कोर्स पर कोई भी सवाल नहीं किया. फलस्वरूप भारत के सभी राज्यों के अध्यापनरत शिक्षकों को प्रशिक्षित करने हेतु NIOS से deled करवाया गया. वह सब कुछ हुआ जो सामान्य b.ed और प्रशिक्षित कोर्स में होता है...परीक्षा, पढ़ाई, रिजल्ट सबकुछ. सर्टिफिकेट और मार्क-शीट भी शिक्षकों को दे दिया गया.
सवाल यह उठता है कि सब कुछ हो जाने के बाद अब कुछ राज्यों की सरकार को यह क्यों लगने लगा है कि यह 18 महीने का कोर्स है. अब आप जरा सोचिये कि क्या कोई Deled 18 महीने में हो सकता है? क्या कोई UGC द्वारा मान्याता प्राप्त कालेज 18 महीने वाला Deled कोर्स करवाता है? क्या 14 लाख शिक्षकों की शिक्षा का कोई महत्व नहीं? यकीन मानिये आप सभी बुद्धिजीवी लोग सब कुछ समझ रहे होंगे.
अजीब विडम्बना है, सही सर्टिफिकेट के लिए भी शिक्षक जैसे शिक्षित नागरिक को इस देश में न्यायालय की शरण में जाना होता है. पेपर और सोशल साईट पर लिखा था कि पटना हाईकोर्ट में पुराने कई केस पड़े हैं, इस वजह से deled केस की सुनवायी नहीं हो पा रही है. ऐसी ऐसी दलीले मिलती है, जिसका कोई आधार ही नहीं है. आपको बता दें कि देश के कुछ अदालतों में इस कोर्स के लिए केस दायर है. सवाल यह है कि केंद्र सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त कोर्स को आप गलत क्यों मान रहे हैं. जहाँ तक राज्य सरकार द्वारा इसे मान्यता न देने की बात है तो निश्चित तौर पर केंद्र सरकार को अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के मुखिया से बात करनी होगी. और जल्द से जल्द इसे राज्यों में भी मान्यता देनी चाहिए. ऐसा न हो की जब कुछ हाथ से निकल जाए और फिर भी कोई नतीजा न आ पाये. क्योंकि बिहार में शिक्षक बहाली अपने अंतिम चरण में है.
एक राष्ट्र की बात करने वाले केंद्र सरकार को यह दोहरा नीति जल्द से जल्द दूर करने की पहल करनी चाहिए. हालांकि जान कर ख़ुशी होगी कि आज राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इस विषय पर प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार को इत्तला करवाया है।